काशीपुर (विकास गुप्ता)। आगामी निकाय चुनाव में काशीपुर मेयर सीट पर भाजपा किसको टिकट देगी इसको लेकर काशीपुर वासियों में चर्चाएं जोरों शोरो से चल रही है। क्या निवर्तमान मेयर व लगातार दो बार से जीत रही ऊषा चौधरी एक बार फिर भाजपा उम्मीदवार होंगी या उनका टिकट इस बार कट कर किसी अन्य को मिलने जा रहा है इसी को लेकर आजकल काशीपुर के हर गली मोहल्ले से लेकर बाजार तक लोग चर्चा कर रहे है।
काशीपुर मेयर सीट का इतिहास
उत्तराखंड में निकाय चुनाव अक्टूबर माह में होने की संभावना है ऐसे में भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों नें तैयारी शुरू कर दी है। उधर काशीपुर नगर निगम का अगला मेयर बनने का सपना संजोए काशीपुर भाजपा के आधा दर्जन से अधिक नेता देहरादून से लेकर दिल्ली तक अपने नेताओं की परिक्रमा करने में जुटे है। 2013 में काशीपुर नगर निगम बनने के बाद हुए चुनाव में जब काशीपुर मेयर की सीट पिछड़ी जाति की हुई तो भाजपा नें पार्टी के वरिष्ठ नेता खिलेंद्र चौधरी की पत्नी शिक्षा चौधरी को टिकट देकर मैदान में उतारा था। उस दौरान ऊषा चौधरी का टिकट इसलिये काटा गया था क्योंकि उन्होंने 2008 में हुए नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में पार्टी प्रत्याशी राम मेहरोत्रा का विरोध कर पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा जिस वजह से राम मेहरोत्रा को हार का मुंह देखना पड़ा। इस हार का बदला राम मेहरोत्रा नें अपने मित्र खिलेंद्र चौधरी के साथ मिलकर लिया दोनों नें जहां ऊषा को मजबूत दावेदार होने के बाबजूद टिकट से वंचित कर दिया तो वही खिलेंद्र अपनी पत्नी को टिकट दिलाने में कामयाब हुए। ऊषा नें निर्दलीय ताल ठोकी ओर जीत का वरण किया। जीत के बाद वह भाजपा में वापिस आ गई और 2018 में पार्टी प्रत्याशी बन गई और चुनाव जीतकर मेयर बन गई।
ये है भाजपा से प्रमुख दावेदार
वर्तमान में भाजपा से काशीपुर मेयर सीट पर आधा दर्जन से अधिक नेताओं ने दावेदारी की है। इनमें प्रदेश महामंत्री खिलेंद्र सिंह, दीपक बाली, ऊषा चौधरी, भाजयुमो प्रदेश महामंत्री रवि पाल,राहुल पेगिया, सीमा चौहान, डॉ गिरीश तिवारी व राम मेहरोत्रा के नाम प्रमुख है।
आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने पर साफ होगी तस्वीर
वैसे तो आगामी निकाय चुनाव के लिये काशीपुर मेयर सीट पर आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी लेकिन चर्चाओं की मानें तो पिछले दो बार से पिछड़ी जाति के लिये आरक्षित हो रही इस सीट के इस बार सामान्य सीट होने की प्रबल संभावना है। यदि ऐसा होता है तो निवर्तमान मेयर ऊषा चौधरी को टिकट मिलने की संभावना क्षीर्ण हो सकती है। उस स्थिति में खिलेंद्र चौधरी, दीपक बाली, रवि पाल, सीमा चौहान या राम में से कोई एक टिकट को लेकर बाजी मार सकता है जबकि पिछड़ी जाति के लिये सीट के पुनः आरक्षित होने पर ऊषा चौधरी एक बार फिर उम्मीदवार हो सकती है।
2013 में निगम बनने के बाद से यह तीसरा चुनाव होगा। ऐसे में काशीपुर भाजपा के अधिकतर दावेदार आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने के इंतजार में है। यह नेता मान कर चल रहे है कि इस बार सीट सामान्य ही होगी
चीमा अटका सकते है उम्मीदवारी में रोड़ा
काशीपुर विधायक त्रिलोक सिंह चीमा व पूर्व विधायक हरभजन सिंह चीमा अपनी कई प्रेस वार्ता के जरिये कह चुके है कि विधानसभा चुनाव में उनका विरोध करने वाले नेताओं को मेयर सीट पर पार्टी का टिकट नही मिलना चाहिये। उन्होंने अपनी यह बात पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक भी पहुँचा दी है ऐसे में यदि वह अपनी बात मनमाने में सफल हो गए तो ऊषा व राम के आगे टिकट पाने की चाहत मुश्किल में आ जायेगी। यानी चीमा इन दोनों दावेदारों के सपनों के आगे रोड़ा बन सकते है