फोर्टिस कैंसर इंस्टीट्यूट ने दिल्ली एनसीआर और आईएमए काशीपुर के साथ मिलकर किया ‘एडवांसमेंट इन ओंकोलॉजी एंड हेमेटोलॉजी’ पर सीएमई का आयोजन
जाने-माने मेडिकल एक्सर्ट्स ने कैंसर केयर के मामलों में मरीजों के लिए बेहतर परिणाम दिलाने के उद्देश्य से कैंसर उपचार में नवीनतम प्रगति पर विचार-विमर्श किया
काशीपुर। फोर्टिस कैंसर इंस्टीट्यूट, दिल्ली/एनसीआर ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), काशीपुर के सहयोग से आज होटल अनन्या रीजेंसी, काशीपुर में ‘एडवांसमेंट इन ओंकोलॉजी एंड हेमेटोलॉजी’ विषय पर कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इस सीएमई का मकसद, काशीपुर तथा आसपास के इलाकों में कैंसर के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र ओंकोलॉजी एवं हेमेटोलॉजी के क्षेत्र में हुई नवीनतम प्रगति पर विचार-विमर्श करना था। सीएमई में भाग लेने वाले प्रमुख वक्ताओं में फोर्टिस हेल्थकेयर की ओर से उपस्थित थे – डॉ राहुल भार्गव, प्रिंसीपल डायरेक्टर एंड चीफ हेमेटोलॉजी, हेमेटो-ओंकोलॉजी एंड बीएमटी; डॉ विकास दुआ, प्रिंसीपल डायरेक्टर एंड हेड, पिडियाट्रिक हेमेटोलॉजी, हेमेटो ओंकोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम; डॉ शैलेंद्र कुमार गोयल, डायरेक्टर – यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट, फोर्टिस नोएडा; डॉ अभिषेक श्रीवास्तव, एसोसिएट कंसल्टेंट-मेडिकल ओंकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल, ग्रेटर नोएडा तथा डॉ वृत्ति लुंबा, प्रोग्राम हेड, फोर्टिस कैंसर इंस्टीट्यूट। पैनल ने सर्जिकल, रेडिएशन एवं मेडिकल ओंकोलॉजी के क्षेत्रों में हाल में हुई प्रगति तथा ब्लड कैंसर के शीघ्र निदान, तथा रोबोट-एडेड टेक्नोलॉजी की मदद से आधुनिक तथा उन्नत सर्जिकल एंड प्रिसीजन ओंकोलॉजी जैसे कई विषयों पर अपनी जानकारी और अनुभवों को साझा किया।
डॉ राहुल भार्गव, प्रिंसीपल डायरेक्टर एंड चीफ हेमेटोलॉजी, हेमेटो-ओंकोलॉजी एंड बीएमटी, फोर्टिस हॉस्पीटल, गुरुग्राम ने कहा, “फोर्टिस का बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) प्रोग्राम भारत के सबसे बड़े कैंसर केयर प्रोग्रामों से है जो कि मरीजों की जिंदगी में बदलाव लाने वाला साबित होता है। हमें CAR-T सेल थेरेपी को आगे बढ़ाते हुए गर्व है, जो कि कैंसर से कुशलतापूर्वक लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम की ताकत का इस्तेमाल करने वाली क्रांतिकारी एप्रोच है। हम बीएमटी में विशेषज्ञता का मेल अत्याधुनिक CAR-T सेल थेरेपी से कराकर मरीजों के लिए सर्वाधिक नवाचारी और प्रभावी उपचार विकल्पों को उपलब्ध करा रहे हैं, जो सर्वश्रेष्ठ संभव परिणामों का लाभ दिलाने की हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। फोर्टिस गुरुग्राम के पास बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए एक विशेषज्ञ और समर्पित टीम तथा सर्वाधिक एडवांस टेक्नोलॉजी उपलब्ध है।
डॉ विकास दुआ, प्रिंसीपल डायरेक्टर एंड हेड, पिडियाट्रिक हेमेटोलॉजी, हेमेटो ओंकोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने कहा, “भारत में 15 साल से कम उम्र के बच्चों में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं और ये देश में बच्चों की असमय मृत्यु का नवां सबसे प्रमुख कारण हैं। हालंकि बाल कैंसर के सही कारणों के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन कई अध्ययनों से यह पता चला है कि डीएनए में बदलाव और म्युटेशन की वजह से शरीर में कैंसर कोशिकाएं पैदा हो सकती हैं। बच्चों में करीब 1-2% कैंसर के मामले आनुवांशिक या बाद में पैदा होने वाले भी हो सकते हैं। जागरूकता तथा शुरुआत में ही हस्तक्षेप होने पर बच्चों में भी कैंसर का उपचार किया जा सकता है। इसके अलवा, बच्चों के कैंसर के मामलों में उपचार के लिए मल्टी-डिसीप्लीनरी एप्रोच की जरूरत होती है। बच्चों का पोषण, विकास, अन्य रुग्णताएं, दर्द से राहत और भावनात्मक स्तर आदि भी इसमें काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि इन सभी पहलुओं पर ध्यान दिया जाए और बच्चे की पूरी निगरानी पिडियाट्रिक आंकोलॉजिस्ट,न्यूट्रिशनिस्ट, काउंसलर और समर्पित नर्सिंग स्टाफ की देखरेख में की जाए, तो वह बच्चा/बच्ची थेरेपी के दौरान भी लगभग स्वस्थ जीवन जी सकता/सकती है।”
डॉ शैलेंद्र कुमार गोयल, डायरेक्टर – यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट, फोर्टिस नोएडा ने कहा, ब्लैडर, किडनी, प्रोस्टेट, और टेस्टिस समेत यूरोलॉजिकल कैंसर के मामलों में वृद्धि के पीछे कई कारण हो सकते हैं। बेशक, डायग्नॉस्टिक तकनीकों में सुधार होने का एक परिणाम यह भी हुआ है कि अब अधिक मामले पकड़ में आते हैं, लेकिन जोखिम के कारणों जैसे कि धूम्रपान, मोटापा ओर खानपान की आदतों में बदलाव की भी अहम् भूमिका होती है। कैंसरकारी तत्वों (कार्सिनोजेन्स) के संपर्क में आने और आनुवांशिक कारणों से भी यूरोलॉजिकल कैंसर बढ़ रहे हैं। रेग्युलर स्क्रीनिंग से शीघ्र निदान तथा अधिक सेहतमंद जीवनशैली को अपनाकर इन ट्रैंड्स से बचाव जा सकता है और जो प्रभावित हो चुके हैं उन मरीजों के मामले में उपचार के नतीजों में भी सुधार लाया जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में, ओंकोलॉजी के क्षेत्र में हाल में हुई प्रगति तथा रेग्युलर हेल्थ स्क्रीनिंग के परिणामस्वरूप यूरोलॉजिकल कैंसर के मरीजों का जीवन बचाने में मदद मिली है। हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी जैसे कि रोबोट की मदद से सर्जरी (दा विंची रोबोट आदि के जरिए) से बेहतर नतीजे मिल रहे हैं और साथ ही, छोटा चीरा लगाने का एक और फायदा यह होता है कि मरीज को अस्पताल में कम समय के लिए रुकना पड़ता है तथा खून भी कम बहता है।
डॉ अभिषेक श्रीवास्तव, एसोसिएट कंसल्टेंट-मेडिकल ओंकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल, ग्रेटर नोएडा ने कहा, यह कॉन्क्लेव प्रिसीजन मेडिसिन की मदद से कैंसर केयर को नए सिरे से परिभाषित करने का उदाहरण है और साथ ही, मरीजों की प्रिसीजन और पर्सनलाइज़्ड केयर के साथ कैंसर उपचार के भविष्य को लेकर हमारी विज़न को भी प्रस्तुत करता है। यह प्रिसीजन ओंकोलॉजी की मदद से कैंसर केसर को उन्नत बनाने की हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है। हम कैंसर के उपचार तथा शोधकार्यों के लिए नेतृत्व प्रदान को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हमारा मकसद नवाचार और परस्पर सहयोग के लिए वातावरण तैयार करना है, जो कि कैंसर केयर के भविष्य की राह प्रशस्त कर रहा है।